रविवार, 5 सितंबर 2010

ज्ञान वृछेर फल

कोलकाता के ज्ञानमंच पर देखा एक सुन्दर नाटक "ज्ञान वृछेर फल " निर्देशक मेघनाथ भट्टाचार्य ने इसे खुबसूरत तरीके से मंच पर प्रस्तुत किया। एक जमींदार अहिभूषण बागची के परिवार और उनके मित्रों की गोष्ठी के साथ समाज के नीचले तबके के लोगों की भावनाओं और चिंतन धाराओं की एक सुन्दर बानगी देखने का मौका मिला कोलकाता के इस सायक नाट्य संस्थान के माध्यम से। मैं साधुवाद देता हूँ कोलकाता के रंगकर्मियों को जो दिन रात लग कर इस तरह के नाटक करते हैं।

इस नाटक में एक दुकान के कर्मचारी के रूप में बहुत ही संछिप्त अभिनय में श्यामल साहा ने जो छाप मुझ पर छोड़ी उसे मैं नहीं भूला शेष सभी कलाकारों ने उम्दा अभिनय किया। प्रकाश और संगीत के समायोजन ने नाटक की गति और प्रभाव दोनों को एक ऊंचाई प्रदान की।

लियो तोल्स्तोय की मूल कृति "फ्रूट्स ऑफ़ कल्चर " पर आधारित चन्दन सेन का यह एक गुदगुदाने वाला नाटक था । इसके सेट डिजाइनर को भी मैं बधाई दिए बिना नहीं रह सकता। समाज के लिए आज इसी तरह के नाटकों की जरूरत है। इसे रांची जैसे शहर में भी होना चाहिए।

सुशील अंकन

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